सबसे ख़राब ह दारू के निशा निमन निमन लोग के बदल जाला दिशा : संतोष कुमार गुप्ता

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उत्तर प्रदेश बलिया 
इनपुट: रमाशंकर गुप्ता 


बलिया उत्तरप्रदेश:---सबसे ख़राब ह दारू के निशा 

निमन निमन लोग के बदल जाला दिशा,
सबसे ख़राब ह दारू के निशा!

जे कई लख एकर निशा,
ओकरा लगे रुकी ना पइसा,
पीके केन्हु गिरल रही,
बुझाई की ह भईसा,
सबसे ख़राब ह दारू के निशा!

कैंसर होला एही कारण से,
बर्बाद हो जायेम तन, धन से,
हम धनंजय कहतानी रउनी से,
दूरी बनइले रखी सिगरेटो आ खैनी से!

मेहरारू के भी जिनगी हो जाला ख़राब,
बाल बच्चा के चकनाचूर हो जाला ख़्वाब,
भईया सबसे बेकार बा दारू, शराब!
 
पटीदार से भी बनाव ना रहेला ए चाल से,
दु-चार आदमी हरदम पियेला रऊआ पाल से,
कर्जदार हटे ना दुआर से,
ई सच बात बा हमरा ख्याल से,
लोग सही ही कहेला खिसा, 
सबसे ख़राब ह दारू के निशा!

दारू के कारण राउर जिनगी बदनाम बा,
समाज में तनको ना नाम बा,
बूढ़ बाप के भी ना आराम बा,
भईया दारू के नशा छोड़ी,
ईहे संजीत धनंजय के कहनाम बा!

ना त जिनगी हो जाई नरक जईसा,
भईया सबसे ख़राब ह दारू के निशा!


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