छोड़ के खोतवा मे, नान्हे नान्हे, बचवा,जाए के परेला, दुरन देश, बटोहिया....

madhurdarpan
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उत्तर प्रदेश बलिया 
इनपुट: हिमांशु शेखर 
बलिया उत्तरप्रदेश:---छोड़ के खोतवा मे, नान्हे नान्हे, बचवा, 
जाए के परेला, दुरन देश, बटोहिया, 

केसे कही मन के कलेश, बटोहिया, 
केसे कही मन के कलेश... 

छोड़ते ही, अंगना के नयना भिजाईल, 
कुहुके करेजा दुःख, बहुते बुझाईल, 
 
भईल बा मुदईया, ई, ग़रीबी निर्दईया, 
बिसरे ना, बाबू माई के फेश, बटोहिया.. 

केसे कही मन के कलेश, बटोहिया, 
केसे कही मन के कलेश,... 

बियोग के रोग से, अर्धांगिनी जरेली, 
रहेली चुप लेकिन तिले तिल मरेली, 

छुटल जाता सोना नियर, देश बटोहिया, 

केसे कही मन के कलेश, बटोहिया, 
कसे कही मन के कलेश. ...

होखी का जे गाँव सब शहर बनि जइहैं। 
जियला के ज़िनगी ज़हर बनि जइहैं । 

अन्न आई कॅंहवा से जिए बदै सोचा तू 
खेत सब फ्लैट अउर डहर बनि जइहैं I 

कूँआं तलाब कब्जियात अइसे लागत ह
नाला अस नद्दी नहर बनि जइहैं । 

जंगल उजाड़ के अमंगल जे होखा ता
सभही परदूषण कै कहर बनि जइहैं ।

एतना महज़ नाही रहल उम्मीद की
मनई सुआरथ में आन्हर बनि जइहैं।

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