मुंबई महाराष्ट्र
इनपुट:सोशल मीडिया
मुंबई:----26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा ने अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली को भारत का वीजा दिलाने में मदद की थी. मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने जांच पर अपनी बात रखते हुए यह जानकारी दी.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद गुरुवार शाम को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया. 1990 के दशक के उत्तरार्ध में कनाडा जाने से पहले, राणा ने पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में काम किया और एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म की शुरुआत की. बाद में वह अमेरिका चला गया और शिकागो में एक कार्यालय स्थापित किया.
पुलिस अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि अपनी फर्म के माध्यम से राणा ने हेडली को नवंबर 2008 के हमलों से पहले मुंबई में एक टोही मिशन को अंजाम देने में मदद की थी. राणा ने हेडली को दस साल का वीजा एक्सटेंशन भी दिलाने में मदद की थी. भारत में अपने प्रवास के दौरान, हेडली ने इमिग्रेशन व्यवसाय चलाने का ढोंग किया और राणा के साथ नियमित संपर्क में रहा.
अधिकारी ने कहा कि इस अवधि के दौरान दोनों के बीच 230 से अधिक फोन कॉल हुए थे. एनआईए के आरोप पत्र के अनुसार, राणा इस दौरान हमलों के एक अन्य साजिशकर्ता ‘मेजर इकबाल’ के संपर्क में भी था. राणा ने खुद नवंबर 2008 में भारत का दौरा किया था.
26/11 हमले के मामले में 2023 में राणा के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, वह पवई के एक होटल में रुका था और मामले में गवाह के रूप में सूचीबद्ध एक व्यक्ति के साथ दक्षिण मुंबई में भीड़-भाड़ वाली जगहों के बारे में चर्चा करता था. इसके बाद, इनमें से कुछ जगहों को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने घातक हमलों के दौरान निशाना बनाया, जिसमें 166 लोग मारे गए थे.
आतंकवादियों ने मुंबई में कई प्रतिष्ठित स्थानों को निशाना बनाया, जिनमें ताज महल और ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे, चबाड हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ट्रेन स्टेशन जैसे स्थान शामिल हैं, जिनकी रेकी हेडली पहले ही कर चुका था।