उत्तर प्रदेश अयोध्या
इनपुट:संतोष मिश्रा
अयोध्या, मार्च 2025 :--– जब अन्याय अपनी हदें पार कर जाए और कानून खामोश हो जाए, तो समाज में अराजकता पनपती है। अयोध्या में एक महिला पत्रकार मिताली रस्तोगी और उनके मासूम बच्चों पर निर्मम हमला हुआ, लेकिन अब तक अपराधी सलाखों के पीछे नहीं पहुंचे। एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी और उसके साथियों ने बेरहमी से मां और बच्चों को पीटा, लेकिन पुलिस आज भी आंखें मूंदे बैठी है।क्या कानून सिर्फ आम नागरिकों के लिए है, अराजक तत्वों के लिए नहीं?
यह हमला किसी एक परिवार पर नहीं, बल्कि पूरे पत्रकारिता जगत और न्याय प्रणाली पर सीधा प्रहार है।
यह कोई पहली घटना नहीं है।
यह अराजक तत्व पहले भी पूरे मोहल्ले में अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश करता रहा है। कई बार स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस से की, लेकिन हर बार मामला रफा-दफा कर दिया गया।
पुलिस की खामोशी – संरक्षण या लाचारी?
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो इस जघन्य अपराध की पूरी गवाही दे रहा है।फिर भी, पुलिस की निष्क्रियता ने साबित कर दिया है कि या तो वह अराजक तत्वों के सामने लाचार है, या उन्हें खुला संरक्षण दे रही है।
मुख्यमंत्री के आदेशों की खुलेआम अवहेलना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार पत्रकारों की सुरक्षा और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की बात कहते हैं। लेकिन अयोध्या पुलिस ने इन आदेशों को ताक पर रख दिया है।
अब निर्णायक संघर्ष होगा!अगर अगले 48 घंटे में हमलावरों की गिरफ्तारी नहीं हुई, तो पत्रकार समुदाय सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक इंसाफ की आखिरी लड़ाई नहीं जीत ली जाती।हमारी मांगें – अब और कोई बहाना नहीं!
1. हमलावरों की अविलंब गिरफ्तारी हो और उन पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया जाए।
2. पीड़ित महिला पत्रकार और उनके परिवार को पूर्ण सुरक्षा दी जाए।
3. पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो, जिन्होंने अब तक मामले को दबाने की कोशिश की अगर आज हम चुप रहे, तो अन्याय की यह आग और घरों तक पहुंचेगी।
अब देखना यह है कि सरकार न्याय के साथ खड़ी होती है, या अराजक तत्वों के साथ!