भारतीय सनातन संस्कृति का दिव्य जागृत महोत्सव है महाकुंभ : ज्योतिषाचार्य भगवती शरण पाठक

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उत्तर प्रदेश बलिया 
इनपुट:धीरज यादव 


प्रयागराज/बलिया:-- "वसुधैव कुटुम्बकम" और "अतिथि देवो भव:" के सिद्धांतों में रची-बसी भारतीय संस्कृति में विश्वास, भावना, आस्था, धर्म, रीति-रिवाजों, परंपराओं आदि का अत्यधिक महत्व रहा है। धर्म प्रधान संस्कृति होने के कारण ही इसे अध्यात्म प्रधान संस्कृति माना गया है। संस्कृति और सदाचार उसकी अभिव्यक्तियां हैं। जो व्यक्ति संस्कार एवं संस्कृति से विमुख हो जाते हैं वे मनुष्य रूप में भी पशु के समान हैं। जो व्यक्ति महाकुंभ में श्रद्धा और भक्ति के साथ आता है तो यह उसके लिए एक यात्रा नहीं बल्कि जीवन को बदलने वाली यात्रा हो सकती है।
महाकुंभ में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। महाकुंभ में स्नान करने से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान होता है।
 महाकुंभ सनातन संस्कृति का महान गौरव है। तीर्थराज प्रयाग समागम, शांति, शक्ति एवं भक्ति की भूमि है। कहा कि महाकुंभ भारतीय सनातन संस्कृति का दिव्य जागृत महोत्सव है। उक्त बाते प्रयागराज महाकुंभ स्थिति त्रिदण्डी देव धाम सेक्टर आठ में प्रवचन करते हुए ज्योतिषाचार्य भगवती शरण पाठक ने कही।उन्होंने कहा कि महाकुंभ सिर्फ एक यात्रा ही नहीं बल्कि आत्म चिंतन करने का अवसर भी है। गंगा स्नान के साथ हम सबको मन के विकारों को भी धोने का प्रयास करना चाहिए। महाकुंभ एक महोत्सव है, जो न केवल व्यक्तियों को आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि एक सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान कराता है।
इस अवसर पर राजनारायण  तिवारी, मेजर पावस तिवारी, नमो नारायण पांडेय, इंदु पाठक, दिव्या, गीता, शिखा, प्रतिष्ठा, जय तिवारी, नितेश पाठक, डॉ0 संजीव, अंचिता, ओमजी पाठक, आदि लोग मौजूद रहे।

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